कहा जाता है कि आप जिन जैसे लोगों के साथ रहते हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आप कैसे होंगे। संक्षेप में कहें तो जैसा संग वैसा रंग। रूढ़िवादी कल आने लगी इस कहावत में बहुत ही मर्म के साथ सच्चाई बयां की गई है। इस प्रकार चिंतन मनन किया जाए तो यह सीख जीवन की दिशा बदलने वाले में समर्थ है। मित्र हमारी हिमालय के समान विकराल समस्याओं को भी रेत की ढेर जैसे मामूली बना देते हैं। मित्र ऐसे होना चाहिए कि उनके स्मरण मात्र से हमने लक्ष्य प्राप्ति के लिए बल उत्साह का संचार हो जाए यह होगा तभी जब सच्चा संग मिलेगा।
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