मोबाइल हमारी जरूरत है परंतु धीरे-धीरे फिर जरूरत लत बनती जा रही है यह किस तिथि के बाद यह लत नोमोफोबिया में बदल सकता है।
क्या आपको तो नहीं है नामो फोबिया?
हम मोबाइल के बिना नहीं रह सकते। अगर बैठे बैठे मोबाइल इधर-उधर हो जाए तो हम हड़बड़ा जाते हैं। लंबे समय तक मोबाइल नजर ना आए तो परेशान हो जाते हैं। और अगर दफ्तर या बाजार आते हुए मोबाइल घर पर ही छूट जाए अधूरापन महसूस होने लगता है।
मोबाइल की लत को नोमोफोबिया कहते हैं जिसका मतलब है नो मोबाइल फोबिया ,अर्थात मोबाइल ना होने का डर।
परंतु यह समस्या मानसिक विकार है या नहीं यह अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है लेकिन यह मोबाइल लत के अंतर्गत आता है जिससे पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है धीरे-धीरे इसका असर रिश्तो पर भी पड़ने लगता है।
रिपोर्ट बताती है कि भारत में चार में से तीन लोग नोमोफोबिया से कम या ज्यादा पीड़ित हैं। उनमें से कुछ ने माना कि उन्हें इंटरनेट खत्म होने, मोबाइल खोने, बैटरी खत्म होने आदि की वजह से भावनात्मक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ऐसे पहचाने फोबिया के लक्षण :
- जब व्यक्ति के पास उसका मोबाइल नहीं होता है और वह वह वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता तो उसमें डर, चिंता और घबराहट की भावना पैदा होती है। वह मोबाइल इस्तेमाल नहीं कर पाता और इसके चलते चिंतित रहता है।
-ऐसे लोग मोबाइल स्विच ऑफ करने से भी कतराते हैं।
- लगातार मोबाइल जानते हैं कि कहीं कोई कॉल मैसेज या नोटिफिकेशन तो नहीं आया।
- जहां जाते हैं वहां मोबाइल साथ लेकर जाते हैं मोबाइल पास में ही है यह सुनिश्चित करने के लिए बार-बार जानते हैं।
- इंटरनेट काम ना करने पर उनकी व्यवहार में चिड़चिड़ा हट देखी जा सकती है।
खुद की मदद भी उपचार है
1.यदि आपको लगता है कि आप अपने मोबाइल फोन में अत्यधिक समय व्यतीत कर रहे हैं तो इस उपकरण के सही उपयोग पर ध्यान दे सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले मोबाइल को कुछ निर्धारित समय के लिए स्वयं से दूर रखने का निर्णय लेना उचित होगा।
2. अपनी दैनिक क्रिया की अवधि जैसे सोते भोजन बनाते या करते समय इसका उपयोग ना करें।
परिवारी क्या कार्य के समय में आवश्यकता पड़ने पर ही उसका उपयोग करें। इस प्रकार सीमित संतुलित एवं सही उपयोग से जो समय आप बचाएंगे उसे लोगों और परिवार के सदस्यों से बातचीत करने में उपयोग करें।
3. यदि आपका इस उपकरण की ओर अधिक ध्यान जाता है- तो इसे छोड़कर अन्य वास्तविक गतिविधियों में भाग लें जैसे कि सुबह शाम पर ले जाएं, गाना सुने या दोनों गतिविधि एक साथ करें। कुछ लोग मिलाकर एक संगोष्ठी मंच बनाए और किसी अच्छे विषय को लेकर प्रतिदिन विचार विमर्श करें। मोबाइल के बाजार लोगों से वास्तविक रूप में मिले-जुले।
4. मोबाइल के सारे नोटिफिकेशन चालू ना रखें। केवल काम के ही जारी रखें।
इसका उपचार भी होता है
नोमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति का उपचार मनोज चिकित्सा तथा मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाले दबाव दोनों से किया जा सकता है। इस समस्या के निदान के लिए संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोग उपचार प्रविधि अधिक प्रचलित है। इस प्रणाली के अंतर्गत मनोचिकित्सक रोगी के नकारात्मक और तर्क हीन विचार के रूप में का विश्लेषण करता है, जिससे उसका व्यवहार दुर्भावनापूर्ण या असामान्य हुआ है। 1 रोगी के सोचने के विभिन्न तरीकों की पहचान करता है और उसके स्थान पर उसे तर्कसंगत हुआ यथार्थवादी विचारों में परिवर्तित करने में सहायता करता है इसके अतिरिक्त चिकित्सक की सलाह लेकर अवसाद ग्रस्त रोगी चिंता और डर निरोधक दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
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