जैसे की आप सभी को पता है आज जो युवाओं में माता पिता के प्रति और सामाजिक रीति रिवाज के प्रति लगाओ ना होकर सोशल मीडिया के प्रति सबसे अधिक लगाव होती जा रही है जो कि एक चिंताजनक विषय है जैसे कि आज एक बस में यात्रा कर रहे यात्री के बारे में देखें बगल में बैठे हुए व्यक्ति से बात करने के लिए समय नहीं है आपकी चर्चा का विषय रहा ही नहीं ।अपने सवाल का जब आप हमेशा इंटरनेट में ढूंढते हैं उन्हें इतना भी पता नहीं जो चीजें माता-पिता से मिलती है वह चीजें इंटरनेट पर नहीं मिलती कुछ हद तक सही है पर पूरे दिन इंटरनेट पर लगा रहा है ना एक मानव के लिए अच्छी आदत नहीं है आज के इस आर्टिकल में हम किस प्रकार से माता पिता से बच्चों की दूरियां बढ़ती जा रही है इस पर चर्चा करेंगे।
परिचय - आज की इस डिजिटल दुनिया में माता पिता के प्रति बच्चों की दूरी एक बड़ी परेशानी बन चुकी है इससे बच्चों की समाज और माता-पिता की समाज में काफी अंतर देखने को मिल रहा है यदि ऐसा चलता रहा तो माता-पिता के ऊपर बच्चों का भरोसा टूट जाएगा और बच्चों के ऊपर माता-पिता का भरोसा टूट जाएगा । यहां तक की आज माता-पिता खुद के बच्चों से डरते हैं कि कहीं वह कुछ कर ना बैठे ,पर बच्चे उन पर हमेशा अपना रौब झाड़ते हैं। यह समस्या प्रत्येक लोगों के साथ हो रही है। जहां हमारी माता पिता को डिजिटल वर्ल्ड में क्या चल रहा है ? इसके बारे में जानकारी कम होने के कारण बच्चों को उस तरह से सलाह नहीं दे पाते या फिर बच्चों को उनकी सुख-सुविधाओं की वस्तुएं नहीं उपलब्ध करा पाते तो बच्चे उन पर अपना रौब झाड़ने लगते हैं और माता-पिता को समझ में नहीं आता कि बच्चा चाहता क्या है ?
माता-पिता से बच्चों के बीच के अंतर से बच्चों के जीवन में पढ़ने वाले कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं
1.पढ़ाई के क्षेत्र में - आज की आधुनिक युग में बच्चों में डिजिटलीकरण देखने को सबसे अधिक मिल रहा है और बच्चा जन्म के साथ ही डिजिटल वस्तुओं के साथ जुड़ जाता है और वह जैसे-जैसे बड़ा होते जाता है उस वस्तु के प्रति उसका लगाओ बढ़ते जाता है। जहां सबसे बड़ी समस्या तब उत्पन्न होती है जब वह बड़ा होता है और परिवार की फाइनेंसियल कंडीशन यदि बच्चे की सोच से कम है तो परिवारिक परेशानियां चालू हो जाती है? इस बीच वह अपने माता पिता को उन वस्तुओं का डिमांड करने लगता है और यदि उनकी इच्छा पूरी नहीं होती है तो वह अपने माता-पिता से दूरियां बनाना स्टार्ट कर देता है। इस समय यदि वह विद्यार्थी है तो उसकी पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है उसका मानसिक सोच उस डिजिटलीकरण यंत्र की ओर झुक जाता है। और हमेशा उस वस्तु को खरीदने के लिए परिवार में जिद कर देता है।
2. अपने गुरु के प्रति लगावकम - आज विद्यार्थियों शिकायत सबसे अधिक है कि वह अपने आसपास के गुरु के प्रति लगाव कम दिखता है। यदि वह ग्राउंड जाता है तो अपने खेल टीचर के प्रति लगाव कम दिखाता है ग्राउंड जाता है मोबाइल पकड़कर जाता है और जैसे समय मिलता है मोबाइल से जुड़ जाता है मतलब कुछ दिमाग पूरी तरह से मोबाइल के प्रतीक कंसंट्रेट हो जाता है। जोकि teacher और विद्यार्थियों के बीच जो एक समाज स्थापित होता है। उनमें अंतर आ गई है।
3. रिश्तेदारों के बीच अंतर- आधुनिकीकरण वस्तुओं के प्रभाव से लोगों के बीच रिश्तेदारों के बीच काफी अंतर देखने को मिल रहा है पहले समय में रिश्तेदार आकर के परिवार के सदस्यों से पड़ोसियों से मिलजुल कर जाया करते थे ।लेकिन इस आधुनिक वस्तुओं के विकास के कारण लोगों में एक दूसरे के घर रुकने के लिए समय नहीं है। यह समाज में रिश्तेदारों के बीच काफी अंतर को दर्शाता है
4. बुजुर्गों के अनुभव के बीच अंतर - आज हम मानव सारी चीज की तलाश इंटरनेट और युटुब जैसे प्लेटफार्म में करते हैं हम उन अनुभव से भरी किताबों को भूल जाते हैं एक वक्ता रुपी व्यक्ति को भूल जाते हैं। जो अभी जीवित है हमारे पास उनके इस समय नहीं है उनसे बात करने के लिए समय नहीं है और हम उनकी जीवन से संबंधित अनुभव को जानने के लिए भूल हो जाती है और कुछ समय बाद जब वह इस दुनिया से चले जाते हैं तो उनकी द्वारा लिखी हुई बातें। हम पुस्तक में खोजते हैं वास्तविक जीवन के अनुभव को हम आमने सामने बैठ कर के बात नहीं करते यह दूरियां काफी देखने को मिल रही है। जो एक समाज में बहुत बड़ी अंतर को दिखाता है। हमारे जो बुजुर्ग हैं वे एक खुली किताब है आप उनसे बातें कर सकते हैं पर पुस्तक में केवल पढ़ सकते हैं। काफी अंतर देखने को है।
5. नए व्यक्तियों के अनुभव को जानने में कमी - ऊपर हम जितना भी बातें कहीं यह सही बात है कहीं ना कहीं हमारी परिवारिक स्तर पर थी लेकिन जब हम कहीं यात्रा में जाते हैं हम नए नए लोगों से मिलते हैं यहां सबसे बड़ी परेशानियां यह हुई है देखने को ज्यादातर मिलता है लोग एक दूसरे से बातें नहीं करते वही सोशल मीडिया वही प्लेटफॉर्म 24 घंटे मोबाइलों पर समय बिता देते हैं। एक अनजान व्यक्ति से बातें करके उनके अनुभव को जानकर के जो सुख और आनंद मिलती है एकसफल ट्रेवल व्यक्ति ही जान सकता है। कभी-कभी तो हमें यात्रा के दौरान एक दूसरे देश के व्यक्तियों से मुलाकात हो जाती है और जब हम उनसे वार्तालाप करते हैं तो जो सुख और आनंद प्राप्त होती है वह आप एहसास कर सकते हैं। यहां पर भी जो देश देश के बीच जो समाज स्थापित होता है उसमें भी अंतर देखने को मिल रहा है यह देश युवाओं के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है।
देश के विकास के लिए और खुद के विकास के लिए सामाजिक वार्तालाप होना बहुत जरूरी है समाज की रीति रिवाज का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।
उपसंहार - सामाजिक दूरी को कम करने के लिए युवाओं को सामाजिक महत्व को समझाना प्रतेक माता-पिता की जिम्मेदारी है साथ ही साथ हम सभी को मिलकर एक समाज को मजबूत समाज बनाना है जिससे लोगों के बीच दूरियां बन रही है उस दूरियां को कम करना है ताकि एकजुट होकर के देश के विकास में प्रत्येक देश का नागरिक भागीदारी दे सके।
युवा समाज, मजबूत समाज
बनाओ मीत, जीत फिक्स,
समाज में बनी दूरी कम करना है जरूरी।।
मां बाप से बढ़ती दूरियां के साथ-साथ समाजिक दूरियां का उल्लेख इस आर्टिकल में किया गया है जोकि मेरी खुद की सोच है और यदि यह आर्टिकल आपके लिए हेल्पफुल रहा है तो कमेंट करके जरूर बताएं ताकि इस प्रकार की आर्टिकल मैं और लेकर आऊं।
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