महंगाई : समस्या और निदान
सुरसा की तरह अपने मुंह को फैला दी हुई महंगाई समूचे राष्ट्र को लिल जाना चाहती है। चल कोई हनुमान तो है नहीं की इस जानवी के भीतर से बाल-बाल बच कर निकल जाएं। आम जनता का हालत बद से बदतर होता जा रहा है, पर महंगाई रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।
वैसे तो पूरे विश्व में महंगाई बढ़ी है,किंतु भारत की समस्या दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है।आज चावल गेहूं की तो बात ही क्या साग भाजी भी 15 रुपए किलो बिक रही है। अरहर की दाल 80 से ₹150 किलो बिकती है । तेलों के दाम आसमान को छू रहे हैं। भगवान जाने इस का सिलसिला कहां जाकर रुकेगा। लोगों का विशेषकर उन लोगों को जो नौकरी पैसे में या वाणिज्य व्यवस्था में है उनका जीवन बहुत कष्टप्रद हो गया है।
उत्पादन में हान्स तथा वितरण की प्रणाली का ठीक ना होना महंगाई का मुख्य कारण है।यदा-कदा कारखानों में हड़ताल एवं ताले बंधी होती रहती हैं। सुखी तथा बाढ़ की चपेट में आकर फसलें चौपट हो जाती हैं। इन सब कारणों से उत्पादन घटता है अर्थात बाजार में वस्तुओं में की पूर्ति में कमी आती है, जिससे चीजों की कीमत बढ़ जाती है।
उत्पादित वस्तुओं का वितरण ठीक ढंग से ना हो पाने के कारण वस्तुओं की कमी होती है।कुछ लोग माल गोदाम में मालूम को भर लेते हैं और अनाप-शनाप कीमत पर माल भेजते हैं।ऊर्जा शक्ति का अभाव की वस्तुओं के मूल्य वृद्धि का कारण है।विश्वव्यापी ऊर्जा संकट के कारण ही चीजों की उत्पादन लागत बढ़ चली है।तेल उत्पादक देश आए दिन मनमाने ढंग से तेलों की कीमत बढ़ाते रहते हैं। जिसका प्रभाव महंगाई वृद्धि पर पड़ता है
मुद्रा स्थिति भी महंगाई को बढ़ाती है। जब किसी देश में मुद्रास्फीति की स्थिति निर्मित हो जाती है। तब वहां रुपए की क्रय शक्ति घट जाती है। और चीजों की कीमत बढ़ जाती है। आज रुपए का मूल्य मात्र 15 00 गया है। सरकार की खराब आर्थिक नीति के कारण भी महंगाई बढ़ती है। हमारी सरकार आज भी अनु उत्पादक कार्यों में बहुत पैसा खर्च करती हैं,कहीं नाश्ता मां से तो कहीं खेल आदि मामलों में अनाप-शनाप पैसे खर्च किए जाते हैं इनका भी असर महंगाई पर पड़ता है।
महंगाई की समस्या के निदान के लिए सर्वप्रथम भारत की कृषि व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। आज भी हमारी कृषि पिछड़ी हुई है।एक गांव या एक प्रदेश में खेती व्यवस्था अच्छी हो जाने से वह अच्छी नहीं कही जा सकती। आज भी समय पर खाद नहीं मिलती। सिंचाई की सुविधा नहीं है आता किसानों को इन सुविधाओं पर ध्यान देना होगा। ताकि उत्पादन बढ़ सके और हमारी आवश्यक आवश्यकताएं पूरी हो सकें।
हमें अपनी वितरण प्रणाली में परिवर्तन करना होगा तथा सहकारी उपभोक्ता भंडार तथा सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से आम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर वस्तुएं उपलब्ध कराने होंगे। जो बहुत जरूरी हो उन्हीं चीजों को आयात करना चाहिए तथा पेट्रोल जैसे आयातित चीजों की फिजूलखर्ची पर रोक लगाने चाहिए। आज पेट्रोल की कीमत आसमान को छूती जा रही है बीते कुछ सालों में पेट्रोल की कीमत ₹70 थी आज पेट्रोल की कीमत 110 क्रॉस करती जा रही है महंगाई की समस्या लोगों के लिए एक जटिल समस्या है जो भयावह है ।
कालाबाजारी, भ्रष्टाचार तथा काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था को समाप्त करना होगा।
सुझाव तो बहुत दिए दिए जा सकते हैं पर उन सुझावों पर ईमानदारी पूर्वक अमल करना मुश्किल है, इसे मुश्किल समझकर छोड़ देना और भी खतरनाक होगा। यदि नेताओं ने अपना आचरण नहीं बदला और समय रहते इस समस्या पर काबू नहीं पाया गया तो इस स्थिति विस्फोटक हो सकती है और असंतोष की आग भड़क सकती है।
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