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विज्ञान के बढ़ते चरण या विज्ञान वरदान या अभिशाप या विज्ञान के नए अविष्कार

 दोस्तों आज के इस आर्टिकल में विज्ञान के बढ़ते चरण जो कि विज्ञान आज हर जगह हर स्तर पर अपना महत्वकांक्षी दिखा रही हैं और हर जगह विज्ञान की बात होती है कि विज्ञान है तो जहान है आज जिन सुख सुविधाओं का आनंद आप ले रहे हैं यह सभी विज्ञान की देन है तो हम एक शॉर्ट निबंध के रूप में विज्ञान को देखेंगे जो आप को समझने में काफी फायदेमंद होगा आसान होगा चलिए आगे आर्टिकल्स में देखते हैं

विज्ञान के बढ़ते चरण 

          या 

विज्ञान वरदान या अभिशाप 

          या 

विज्ञान के नए आविष्कार

प्रस्तावना - मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नए नए अविष्कार किए हैं इस शताब्दी में विज्ञान ने भारी प्रगति की है और संसार का नक्शा ही बदल दिया है।विज्ञान ने हमारी बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की है उसने मानव जीवन में अधिक anand बढ़ाया है।अंधे को आंखें बहरे को कान पुंगे को पैर दिए हैं और मनुष्य को पक्षियों के सामान आकाश में उड़ने की सुविधा दी है। मनुष्य जल पर भी चल सकता है।वैज्ञानिक उपकरणों के सहारे आज हम सैकड़ों मील दूर बैठे हुए अपने किसी मित्र से बातचीत कर सकते हैं।

मनोरंजन के क्षेत्र में - मनोरंजन के आधुनिक वस्तुएं विज्ञान की ही देन है । सिनेमा, टेलीविजन, रेडियो रिकॉर्डर, टेप रिकॉर्डर, रेडियो, आदि के माध्यम से हम मनोरंजन नार्थ प्रस्तुत की जाने वाली सामग्री देख, सुन सकते हैं। हमारी शिक्षा ,संस्कृति, आचार विचार पर भी इसका प्रभाव पड़ा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में- स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान में मानव को बड़ा लाभ पहुंचाया है। खतरनाक लोगों पर काबू पा लिया है। कई प्रकार के टीके का आविष्कार हो चुका है।एक्स-रे द्वारा तो शरीर का भीतरी भाग तक अच्छी तरह देखा जा सकता है। शल्य चिकित्सा का भी अच्छा विकास हुआ है। अब तो विज्ञान मौत को भी जीतने का प्रयास कर रहा है।।

कृषि के क्षेत्र में-  कृषि और उद्योग धंधों के विकास में भी विज्ञान ने हमारी बड़ी मदद की है।उसने नलकूप, ट्रैक्टर रासायनिक खाद आदि ऐसे अनेक उपकरण निर्मित किए हैं जिनके कारण उत्पादन अनेक गुना बढ़ गया है।ट्रैक्टर ,सिंचाई के पम्प, बीज बोने से लेकर काटने और साफ करने तक के यंत्र रासायनिक उर्वरक कीटनाशक औषधियां आदि विज्ञान के कारण ही संभव हो सकी है।

आवागमन के क्षेत्र में- आज संसार की दूरी कम हो गई। वसुधैव कुटुंबकम की भावना साकार हुई है।आवागमन के द्रुतगामी साधनों के कारण आज मनुष्य दिल्ली में भोजन करता है मुंबई में जा कर पानी पीता है और कोलकाता जाकर शयन करता है। इंग्लैंड अमेरिका रूस आदि देशों की यात्रा कब स्वप्न नहीं रह गई है। यात्रा दुत, सुगम ,सुखद और सुरक्षित हो गई है।

अन्य क्षेत्र में- विज्ञान में मानव जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। गैस का चूल्हा, विद्युत चूल्हा, रेफ्रिजरेटर, बिजली का पंखा आदि कई वस्तुएं हमारे दैनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। नई नई मशीनों का चलन हो गया है।

अंतरिक्ष में विज्ञान- वैज्ञानिकों ने आर्यभट्ट, भास्कर, रोहिणी, इनसैट के उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित कर अपनी श्रेष्ठता प्रतिपादित कर दी है। मानव चंद्र यात्रा कर आया है, अब मंगल और दूरस्थ ग्रहों की बारी है।

अभिशाप- विज्ञान ने मनुष्य को अनेक प्रकार से लाभान्वित किया है, वहीं कई प्रकार से अहित भी किया है। अनेक लाभकारी अविष्कारों के साथ उसने भयंकर से भयंकर शास्त्रों का निर्माण किया है। यह अस्त्र शास्त्र इतने घातक होते हैं कि देखते देखते लाखों लोगों को मौत के घाट उतार सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी में आलू बम का दुष्परिणाम हम देख चुके हैं। अब तो आलू बम से भी अधिक भयंकर अधिक विनाशकारी अस्त्र शास्त्र बन चुके हैं, जिनका की अभी हाल ही में हुए युद्ध में इराक और बहुराष्ट्रीय सेना से सेना ने डटकर प्रयोग किया था।भोपाल में दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड कारखाने में गैस रिसने के कारण 2500 से अधिक लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इस प्रकार इन आविष्कारों के कारण मानवता के लिए एक जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है।

विज्ञान ने बड़ी-बड़ी मशीनों और कारखानों के द्वारा उत्पादन अवश्य बढ़ाया है, लेकिन बेरोजगारी , शोषण, अस्वस्थ आदि की समस्या भी पैदा की है।उद्योग इन को बड़े पैमाने पर केंद्रीकरण हो गया है। समाज पूंजीपति और श्रमिक वर्ग में बट गया है। इन्हीं कारखानों ने बड़े-बड़े देश में स्पधा की भावना पैदा की। जिसके परिणाम स्वरूप युद्ध होते रहते हैं। उत्पादन वृद्धि के साथ बेकारी भी बढ़ रही है। विज्ञान के कारण समाज में भौतिकवाद और विलासिता की भावना भी बड़ी है। आज का मनुष्य भारतीय सुख-सुविधाओं के पीछे पागल है। जितनी सुविधाएं बढ़ रही हैं मनुष्य इतना ही विलासी बनता जा रहा है। विलासिता के कारण शक्ति क्षय होता जा रहा। आज मनुष्य शारीरिक दृष्टि से पहले की अपेक्षा बहुत कमजोर हो गया है। विभिन्न प्रकार के बढ़ते हुए प्रदूषण ने भी मानव जीवन को बहुत प्रभावित किया है।।

उपसंहार- विज्ञान की उपलब्धियां एक और anand कारी हैं, तो दूसरी ओर विंध्यकारी भी। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी प्रवृत्तियों का परिमार्जन करें और विज्ञान द्वारा प्रदर्शित वस्तुओं का उपयोग मानवता की रक्षा ,खुशहाली और कल्याण के लिए करें। विज्ञान विनाश का नहीं सृजन का साधन बनाया जाना चाहिए। विज्ञान दोषी नहीं है दोस्ती है मनुष्य जब इसका दुरुपयोग करता है।।

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