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क्या धर्म और दर्शन परस्पर पूरक हैं

 


धर्म और दर्शन दोनों ही एक दृष्टिकोण मात्र हैं। धर्म परम तत्व की अभिव्यक्ति है तो दर्शन परम तत्व रुपीस सत्य का अन्वेषण है। अन्वेषण से परम तत्व को जाना जाता है। और जानने के बाद धर्म स्थापित होता है इसलिए धर्म और दर्शन परस्पर पूरक है।

      या

धर्म विभिन्न रीति-रिवाजों एवं मान्यताओं का समूचा है जल की दर्शन इन रीति रिवाजों और मान्यताओं की अर्थवत्ता का परीक्षण है। चुकी परीक्षण से ही धर्म रीति-रिवाजों और मान्यताओं की स्थापना हुई है। इसलिए धर्म-दर्शन एक दूसरे के पूरक हैं।


विज्ञान और संस्कृति के मध्य अंतर संबंध पर टिप्पणी लिखिए।

विज्ञान और संस्कृति परस्पर सहायक है। संस्कृति विचारों रीति-रिवाजों मान्यताओं एवं परंपराओं का समन्वित रूप होता है। संस्कृति के निर्माण में विज्ञान की भी भूमिका होती है। क्योंकि विज्ञान सदा अन्वेषण एवं पर योगिक क्रियाओं के द्वारा प्रमाणों पर बल देता है।

परिणाम स्वरूप संस्कृति के वैदक तत्व जब परमाणु के प्रकाश में सत्य सिद्ध होते हैं तो वह समाज में बने रहते हैं। जबकि ऐसा ना हो तो संस्कृति में रूपांतरण एवं परिवर्तन हो जाता है। संस्कृति भी भारतीय समृद्धि के लिए वैज्ञानिक अन्वेषण को बढ़ा देता है।

दर्शन जीवन का रूपांतरण है टिप्पणी करें।

जीवन में परिवर्तन विचारों के परिवर्तन से हुआ है। दर्शन उत्कृष्ट विचारों की श्रृंखला है इसलिए दर्शन के अध्ययन के द्वारा विचारों में परिष्कृता , सामंजस्य एवं क्रम बद्धता आती है। इसलिए कहा जाता है कि दर्शन जीवन का रूपांतरण है।

दर्शन और संस्कृति के संबंध को स्पष्ट कीजिए।

दर्शन संस्कृति का मार्गदर्शक एवं संरक्षक है। दर्शन संस्कृति के स्वरूप एवं दिशा का निर्धारण करता है तो उस संस्कृति भी अपनी तरह से दर्शन को प्रभावित करता है। वस्तुतः दर्शन और संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं।



दर्शन और धर्म के मध्य संबंध स्पष्ट कीजिए।

दर्शन धर्म के बाय भक्तों को अपने तर्क और कठोर अनुभव के माध्यम से परीक्षण करता है और उसमें नहीं सत्य को जानने का प्रयास करता है। इस प्रयास में धर्म का बाया नंबरी स्वरूप बिखरता है और धर्म का आंतरिक स्वरूप उभरता है। धर्म दर्शन को विषय वस्तु प्रदान करता है।

उदाहरण- हिंदू धर्म की पुस्तक भागवत गीता एक दार्शनिक विषय वस्तु है जिसमें निहित सत्यता को जानने का प्रयास दर्शन करता है।


इसी प्रकार धर्म दर्शन को विषय वस्तु से समृद्ध करती है तथा दर्शन धर्म को निरंतर परिष्कृत करती है अतः हम कह सकते हैं कि धर्म और दर्शन अंत: संबंधित हैं

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