- भगवत गीता एक प्रमुख भारतीय ग्रंथ है। यह महाभारत का एक अंश है। इसके रचयिता व्यास है। भगवत गीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र युद्ध में अर्जुन को दिया गया उपदेश है भगवत गीता का हिंदुओं पर बहुत गहरा प्रभाव है।
- भगवत गीता के संदर्भ में शंकराचार्य रामानुज मधुसूदन सरस्वती तथा अन्य कई विद्वानों ने इस पर टिकाए ं लिखी है।
- आधुनिक काल में बाल गंगाधर तिलक ने गीता रहस्य महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग तथा श्री अरविंद ने गीता निबंध लिखे हैं जो गीता से ही प्रेरित है।
- एनी बेसेंट के अनुसार गीता साधक को सन्यास के उस निम्न स्तर से जहां पदार्थों का तथा कर्मों का त्याग किया जाता है कर्म योग के उच्च उच्च स्तर पर ले जाती है जहां कामना और आसक्ति का त्याग किया जाता है और जहां योगी समाधि हुए भी शरीर और मन से लोक कल्याण के लिए कार्य करते हैं।
- गीता ईश्वर का उपदेश करती है और ईश्वर को सर्वोच्च सत्ता मानती है। ब्राह्मण से भी ऊपर ईश्वर की स्थिति है तथा ईश्वर ही इस ब्रह्म का आधार है।
- भगवत गीता में बताया गया है कि ईश्वर यह जगत् में व्याप्त है बे भूतकाल वर्तमान तथा भविष्य सर्वत्र हैं। वे सभी गुणों से श्रेष्ठ हैं। तथा सभी का मूल है।
- भगवत गीता में 18 अध्याय जिसमें प्रत्येक में भिन्न-भिन्न विषय में तथा जीवन संबंधी रहस्य का विचार किया गया है।
- भगवत गीता के अनुसार इस संसार में दो पुरुष हैं पहला क्षर हैं दूसरा अक्षर। सभी वस्तुएं तथा जीव क्षर पुरुष हैं। तथा उसके अंदर समाहित बिंदु अक्षर पुरुष हैं।
- भगवत गीता में निष्काम कर्म की बात कही गई है।
- भगवत गीता में सुख दुख में समान भाव से रहने की बात कही गई है।
- भगवत गीता अपने धर्म पालन का उपदेश देती है।
- शंकराचार्य ने क्षर पुरुष को परिवर्तनशील माना है तथा अक्षर पुरुष को ईश्वर की शक्ति कहा है रामानुज के अनुसार अनुसार क्षर पुरुष शरीरों तथा जड़ प्रकृति से बंधे हुए जीव आत्माओं का समूह है तथा अक्षर पुरुष सभी बंधुओं से मुक्त है।
गीता का महत्व
- गीता वर्तमान जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है।
- गीता आसान तथा जीवन में अपनाने योग्य है अतः इसे अपनाने में किसी भी मनुष्य को कोई कठिनाई नहीं होती।
- महात्मा गांधी स्वामी विवेकानंद तथा डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन इत्यादि विद्वानों ने इस की शिक्षाओं को अपनाया है तथा किस की शिक्षाओं को जनसामान्य तक पहुंचाने का कार्य किया है।
- गीता एक कर्म प्रधान ग्रंथ है जो मनुष्य को कर्मठ बनाने की प्रेरणा देता है।
- गीता के अनुसार व्यक्ति कितना भी विद्यान हो या उसके द्वारा कितनी भी मेहनत कर ली जाए वह तब तक फल प्राप्त नहीं करता जब तक कि भाग्य उसे पक्ष में ना हो। क्योंकि गीता एक कर्म प्रधान ग्रंथ है इसलिए मनुष्य को अपना कार्य करते रहना चाहिए।
- गीता में ईश्वर/ भगवान के विषय में चर्चा की गई है तथा उनके विराट रूप का भी उल्लेख किया गया है।
गीता से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
ज्ञान
गीता के अनुसार जब भगवान अपने भक्तों पर दया और कृपा करते हैं तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है बिना भगवान के मदद के उन्हें ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकती कर्म की परी समाप्ति ज्ञान में ही होती है।
ज्ञान से ही परम तत्व की प्राप्ति होती हैं और उसके बाद ही परम आनंद परम शांति प्राप्त होते हैं।
गीता के अनुसार ज्ञान के जैसा पवित्र और कुछ भी नहीं है।
भक्ति
गीता दर्शन में शामिल चारों प्रमुख बिंदुओं में से एक है भक्ति।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति के विषय में परम ज्ञान प्रदान किया है।
भक्ति चाहिए अज्ञानता दूर होती है तथा परम सत्य की प्राप्ति होती है।
आत्मा /आत्म तत्व
गीता में एक आत्म तत्व का उल्लेख किया गया है जो अविनाशी, अजर, सनातन तथा अव्यक्त है।
आत्म तत्व नित्य है जबकि शरीर नश्वर है।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं ंंक्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:।।
अर्थ
आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते और ना ही इसे अग्नि जला सकती है इसे जल भिगो नहीं सकती और ना ही वायु इसे सुखा सकती हैं।।
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