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उष्मा गतिकी तंत्र के प्रकार

 उष्मागतिकी गतिकी तंत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

 1. विवृत या खुला तंत्र ( Open system)

2. संवृत बंद तंत्र(Closed System)

3.विलगित तंत्र (isolated System)

1.विवृत या खुला तंत्र(open System)- वे तंत्र जो अपने चारों ओर से घीरे वातावरण से ऊर्जा की मात्रा तथा द्रव्य की मात्रा दोनों का एक ही लेन देन कर सकते हैं उन्हें खुले तंत्र (open System)कहते हैं

 उदाहरण- किसी खुली प्याली में रखी इधर की मात्रा अपने चारों ओर के वातावरण (surrounding)से उर्जा की मात्रा ग्रहण करके वास्पिश होती है इस प्रक्रिया में ऊर्जा तथा द्रव्य दोनों का लेनदेन होता है इसलिए यह एक खुला तंत्र है।



2. संवृत या बंद (closed system)-

यह वे तंत्र होते हैं जिनमें चारों ओर के वातावरण अथवा घिराव (surrounding)के बीच ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है लेकिन द्रव्य का आदान-प्रदान नहीं होता है

 उदाहरणार्थ-

किसी बंद बर्तन में यदि कोई रासायनिक अभिक्रिया हो रही हो और इस अभिक्रिया में या तो उष्मा का उत्सर्जन हो रहा हो या फिर अवशोषण हो रहा हो, तो ऐसी दशा में बर्तन के चारों ओर का वातावरण जिससे वह घीरा है। उस मां के उत्सर्जन की दशा में गर्म तथा अवशोषण की दशा में ठंडा हो जावेगा । लेकिन बर्तन में लिए गए द्रव की मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होगा अतएव  यह एक बंद तंत्र का उदाहरण है।

3. विलगित तंत्र (isoleted system)-  विलगित तंत्र उस तंत्र को कहते हैं जो चारों ओर से गिरे वातावरण से ना ही ऊर्जा का आदान प्रदान करता है और ना ही द्रव्य का ही करता है 

उदाहरणार्थ- यदि कोई ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया किसी ऊष्मा रोधी में हो रही हो तो ऐसी दशा में तंत्र अपने चारों ओर से धीरे वातावरण को नहीं ऊर्जा दे सकेगा और न ले सकेगा अर्थात इस प्रक्रिया में चारों ओर के वातावरण से ऊर्जा तथा द्रव्य दोनों का ही आदान प्रदान संभव नहीं है इसलिए इस तंत्र को विलगित तंत्र ( isolated System) कहते हैं







1.उष्मागतिकी क्या है?

 2.उष्मागतिकी के सीमा बंधन (Limitations of thermodynamic)

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