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छत्तीसगढ़ में असहयोग आंदोलन की समाप्ति

 असहयोग आंदोलन की समाप्ति ः11 फरवरी 1922 ईसा पूर्व

5 फरवरी 1922 ईस्वी को संयुक्त प्रांत के गोरखपुर जिले में चौरीचौरा ग्राम में 3000 किसानों की एक कांग्रेसी भीड़ पर पुलिस ने गोली चलाईक्रुद्ध भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला करके उसमें आग लगा दीी जिससे 22 पुलिसकर्मी मारे गए चौरी चौरा कांड से गांधी जी बहुत दुखी हुए और उन्होंने 11 फरवरी 1922 ईस्वी को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बारदोली (गुजरात) बैठक में असहयोग आंदोलन की को स्थगित करने का निर्णय लिया।

 हालांकि गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था पर नेताओं की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी रहा छत्तीसगढ़ से पंडित सुंदरलाल शर्मा एवं नारायणराव विनोद वाले गिरफ्तार किए गए इन दोनों को सिहावा क्षेत्र में कांग्रेश के कार्यों एवं कार्यक्रमों का प्रचार करने के कारण आईपीसी की धारा 108 के अंतर्गत मई 1922 ईस्वी में गिरफ्तार किया गया। उन दोनों पर मुकदमा चलाया गया किंतु दोनों ने मुकदमे की कार्यवाही में शुरू से अंत तक भाग नहीं लिया ।अतः अदालत के एक तरफा कार्यवाही कर पंडित सुंदरलाल शर्मा को 1 वर्ष तथा नारायण राव विनोद वाले को 8 माह का सश्रम कारावास की सजा देकर रायपुर जेल भेज दिया ।अपार जनसमूह ने इन दोनों नेताओं को फूल मालाओं से सुसज्जित कर विदा किया धमतरी एवं रायपुर शहर के लोगों ने हड़ताल रख कर इन नेताओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया । समाचार पत्रों ने भी सरकार के इस कदम की निंदा की नागपुर से प्रकाशित हितवाद ने 1922 ईस्वी के अंक में मध्य प्रांत में दमन शीर्षक से तथा जबलपुर से प्रकाशित कर्मवीर ने 1922 ईस्वी के अंत में आलोचनात्मक लेख प्रकाशित किए।



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