सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकीकरण पर आधारित डॉ योगेश अटल की रचना में वैश्वीकरण के दौर में संस्कृति की स्थिति का वर्णन हुआ है। लेखक ने अपना मंतव्य प्रकट करते हुए लिखा है कि यूं तो हर समाज की अपनी संस्कृति होती है जिसे दूसरे पर लागू करना सर्वथा कठिन होता है। संस्कृति विकास की अंतिम सीढ़ी है,परंतु वैश्वीकरण के इस दौर में संस्कृतियों एक दूसरे को प्रभावित किए बिना नहीं रह सकती । संस्कृति में निरंतरता होती है। अध्यापिका क्षेत्र सीमित होता है तथापि औद्योगिक क्रांति के पश्चात धर्म कला साहित्य आदर्श रीति रिवाज आदि अनेक क्षेत्रों में सांस्कृतिक दृष्टि से आदान-प्रदान बढ़ गया है। उदाहरण दक्षिण भारत में डोसा इडली सांभर को चाव से लोग खाते हैं रहते हैं। परंतु अब उत्तर भारत में भी यह सर्वमान्य और सामान्य हो चला है पाकिस्तान अमेरिका आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी भारतीय व्यंजन का लुफ्त उठाने की व्याकुलता देखी जा सकती है।इस प्रकार स्पष्ट है कि वैश्वीकरण के दौर में समाज एक दूसरे से प्रभावित हो रहा है तथा संस्कृति भी परस्पर प्रभावित हो रही है।
सांस्कृतिक तत्वों को अच्छा या बुरा कहना भ्रामक है इस कथन पर मानव शास्त्र की क्या दृष्टि है
संस्कृति और परंपरा के अंतर को स्पष्ट कीजिए
एक उभरती भारतीय संस्कृति ने विविधता के मोतियों को एक सूत्र में पिरोए रखा है कथन को स्पष्ट करें
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