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संगठन में शक्ति है

 आज की इस आर्टिकल में आप उन संगठन की शक्तियों के बारे में पढ़ेंगे जिसकी हमें सतत आवश्यक है आपने कई बार सुना होगा 

"अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता" ।


 ठीक उसी प्रकार से बिना संगठन के हम किसी भी चीज पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते जैसे कि आप सभी को पता है ।

चलो संगठन में शक्ति है इसको डिटेल में समझते हैं



संगठन में शक्ति है" इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है - एकता में बल है। एकता एवं संगठन के अभाव में सृजनात्मक शक्ति की कल्पना नहीं की जा सकती। परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी स्तरों पर यह कथन सार्थक एवं साभिप्राय है। इस प्रकार के अनेक उदाहरण इतिहास में विद्यमान है।


कोई भी समाज अथवा राष्ट्र तभी विखंडित होता है जब वहां एकता का अभाव होता है। कहा गया है -" संधे शक्ति कलियुगे।"

अर्थात वर्तमान समय में संघ अर्थात संगठन में शक्ति है ।

एक किसान ने अपने चार पुत्रों को बुलाकर लकड़ी के गट्ठर तोड़ने को कहा। वह गठर को तोड़ नहीं सके। परंतु जब गट्ठर खोलकर एक-एक लकड़ी तोड़ने के लिए दिया तो वे आसानी से तोड़ डालें। किसान ने अपने पुत्रों को समझाया कि गट्ठर की लकड़ियों की तरह एकता के सूत्र में बंधकर रहोगे। तो कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगा।


परंतु बिखरे रहोगे तो कोई भी आसानी से तुम्हें तोड़ देगा।

वर्तमान में धर्म के नाम पर ,जाति के नाम ,पर को प्रवृत्ति के कारण समाज और राष्ट्र अनेक स्तरों पर टूटता नजर आ रहा है।

राष्ट्र के इसी कमजोरी का लाभ उठाकर दूसरा राष्ट्र उस पर हावी हो पता है।

इराक में आपसी फूट के कारण ही अमेरिका को सहजता से सफलता मिल पाई।

अतः हमें निरंतर संगठन को मजबूत करने के लिए संकल्पित रहना चाहिए। यह तथ्य शत प्रतिशत सत्य है कि "संगठन में शक्ति है"


इस आर्टिकल में संगठन की शक्ति का उल्लेख किया गया जो की एक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है मुझे आशा है कि यह आर्टिकल आपको अच्छी लगी होगी।



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