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यह कैसे सिद्ध करोगे कि गांधी जी में सेवा भावना प्रबल थी


 इस आर्टिकल में हम गांधी जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा करेंगे । जैसे कि   

आपने टाइटल में देखा ही लिया है कि 

यह कैसे सिद्ध करोगे कि गांधी जी में सेवा भावना प्रबल थी?

जैसे कि आप सभी को पता है गांधी जी हमारे राष्ट्रपिता के रूप में जाने जाते हैं और उनका राष्ट्रपिता कहलाने के पीछे क्या राज है?

 अगर उन सभी चीजों पर हम चर्चा करें तो आर्टिकल काफी लंबी हो जाएगी।

हम इस आर्टिकल में सिर्फ एक ही क्वेश्चन का डिटेल चर्चा देखेंगे

जब गांधी जी राजकोट में कुछ महीने वकालत के लिए ठहरे थे। इसके बाद जब उन्होंने राजकोट से वकालत करने की पहचात मुंबई आए तब वहां उनकी वकालत अच्छी चल रही थी। लेकिन वहां उन्होंने वकालत के साथ-साथ देखा कि यहां की जनता काफी अस्वस्थ के कारण बीमार हो रही है वे स्वास्थ्य को लेकर बहुत बेचैनी महसूस कर रहे थे ।और गांधी जी की यह मुख्य खास बात रही थी कि वह स्वस्थ के प्रति बहुत ही सजक थे।


जैसे कि आज हमारे भारत की सपना 

स्वच्छ भारत स्वच्छ मिशन 

यह गांधी जी का ही सपना था अगर हमारा भारत स्वच्छ रहेगी तो यहां की जनता स्वच्छ महसूस करेगी ।

यहां की जनता की स्वास्थ्य ठीक होगी ।और स्वास्थ्य का ठीक होना काफी जरूरी है।


वे मुंबई में वकालत करने के साथ-साथ लोगों का स्वास्थ्य का भी ख्याल रखते थे गांधी जी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते थे ।अफ्रीका में जब गांधी जी थे तब उन्होंने कई बीमारियों को अच्छा किया था और उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा पर काफी विश्वास था।


एक बार की बात है जब उनका पुत्र मणिलाल विषम ज्वर से बीमार हो गया। निमोनिया की आशंका होने लगी। तब उन्होंने एक पारसी डॉक्टर को बुलाया, जिसने चिकित्सा के समय अंडा और मांस खाने का शोरबा देने की सलाह दी। जो कि गांधी जी के लिए असहज था । क्योंकि उनके परिवार में कोई अंडा और मांस को टच भी नहीं करता था। परंतु गांधी जी ने डॉक्टर की सलाह नहीं मानी। उन्होंने अपनी ही चिकित्सा से अर्थात जल चिकित्सा से मणिलाल को स्वस्थ कर दिया। चिकित्सा काल में भी परात्मा से प्रार्थना भी किया करते थे। जब मणिलाल स्वस्थ हो गया तो उन्होंने उसे कुंड मकान को छोड़कर खुला हवादार मकान लिया और उसमें रहने लगे मुंबई में उनकी वकालत जम ही रही थी कि दक्षिण अफ्रीका के मित्रों ने उन्हें पुणे अफ्रीका आने के लिए आग्रह किया ।क्योंकि उनकी जो सेवा की भावना थी अफ्रीका के लोग भी उनकी सेवा से काफी प्रभावित थे।


इस प्रकार से यह सिद्ध होता है कि गांधी जी में सेवा भावना प्रबल थी और आज हमारी भारत की संस्कृति भारत की जनता गांधी जी को स्वास्थ्य की सपना देखने वाले राष्ट्रपिता के रूप में पूजते हैं।


कोलकाता कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेकर गांधी जी को निराश क्यों हुई?


गांधी जी ने स्वदेश लौटते ही कोलकाता कांग्रेस में भाग लेने का निश्चय किया वह इस गाड़ी से रवाना हुए जिसमें कर फिरोज शाह मेहता और दिनशा  बाछा कांग्रेस अध्यक्ष यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी चाहते थे कि कांग्रेस दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों की दुर्दशा पर कोई प्रस्ताव पास करें। कोलकाता पहुंचने पर भी लोकमान्य तिलक के साथ ठहराए गए। नेताजी नेता बनकर नहीं रहना चाहते थे वह कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस में भाग लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने स्वागत समिति के अधिकारियों से कलर् की का काम ले लिया।

और निर्दिष्ट होकर कार्य करने लगे। उन्होंने स्वयं सेवकों से झाड़ू पूछा और पखाना साफ करने को कहा। स्वयंसेवक ऐसा विचित्र आदेश मानने के लिए तैयार नहीं हुई तब गांधी जी स्वयं सफाई के काम में जुट गए 


गांधी जी कहते नहीं थे बल्कि वह करते थे।

जब कांग्रेस का अधिवेशन प्रारंभ हुआ तब उन्होंने अपनी बात कहने के लिए अध्यक्ष से समय मांगा। अध्यक्ष ने केवल 5 मिनट दिए। इतनी कम समय में वे अफ्रीका के भारतीयों की समस्या पर पर्याप्त प्रकाश ना डाल सके। उन्हें बड़ी निराशा हुई कांग्रेस को उन्होंने एक निष्पादन संस्था के रूप में देखा उसमें अंग्रेजों और अंग्रेजी अर्थ का प्रभुत्व उन्हें अखाड़ा उन दिनों कांग्रेस का अधिवेशन प्रति वर्ष 3 दिनों तक होता था शेष 362 दिनों वह सोई रहती थी।


यह सभी देखकर कोलकाता कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेकर गांधी जी को बहुत निराशा हुई थी।


आज किस आर्टिकल में गांधी जी की जो सातवीं झलक के रूप में स्वदेश में गांधी जी क्या किया और उनकी क्या सपना थी इस आर्टिकल में उल्लेख किया गया है आने वाले नेक्स्ट आर्टिकल में नेक्स्ट टॉपिक पर आर्टिकल होगी फॉलो करें।

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