संघर्षों की सीप में ही सफलता का मोती पलता है -
संघर्ष से व्यक्ति में निखार आता है। संघर्ष से प्राप्त लक्ष्य का मूल हर कोई नहीं समझ सकता। स्वाति नक्षत्र की एक बूंद शिप में बंद होकर ही मोती का रूप धारण कर पाती है। हमें जीवन में अनेक दृष्टांत ऐसे मिल जाएंगे की जिसने जीवन संघर्ष में अपने को झोंक दिया, सफलता ने निश्चित रूप से उसका कदम चूमा है।
जिसने संघर्ष से पलायन किया उसे कोई लक्ष्य या मुकाम हासिल नहीं हो सका। प्रत्यक्ष उदाहरण है - सोना आग में तपकर ही निखरता है।
जीवन में निखार के लिए भी संघर्ष आवश्यक है।
महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है-
सिपी के कठोर कवच के अंदर सुंदर मोती रहता है। निष्ठुर एवं क्रूर बनने पर ही ज्यादातर महत्वाकांक्षाएं पूरी होती है। सहृदयता एवं उदारता के साथ महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना संभव है।
व्यक्ति जब कठोरता और क्रूरता से प्रेरित रहता है, तब उसके पीछे उसकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का लक्ष्य होता है। महत्वाकांक्षाएं अत्यंत मोहन एवं आकर्षक होती है।
मनुष्य उसका मोह नहीं छोड़ पता। मोती की सुंदरता के आकर्षण में मनुष्य बंधें बिना नहीं रह पाता। अतः महत्त्वाकांक्षा मोती की तुलना समिचीन है
क्षमा वीरों का आभूषण है-
वह व्यक्ति समाज में श्रेष्ठ और वीर माना जाता है जो दूसरों की गलती को नजर अंदाज करते हुए उसे क्षमा प्रदान करता है। भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल की गलतियों पर ध्यान न देते हुए उसे कहा था कि मैं तुम्हारी 100 गलतियों पर क्षमा करता रहूंगा और उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा निभाया भी।
विपत्तियां मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ गुरु है
मनुष्य संभावित सुख पूर्ण स्थितियों की ओर आकर्षित होता है।
किंतु मनुष्य के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास विपत्तियों में ही होता है विपत्तियां मनुष्य को कर्मशील एवं कर्तव्य परायण बनती हैं। विपत्तियों से गिरा आदमी जीवन की दुरुह से दुरुह स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहता है। जिसने जीवन में दुख नहीं देखा उसे जीवन के सच्चे स्वाद से वंचित मानिए। हमारे महापुरुषों का जीवन चरित्र इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने दर्द में विपत्तियों का सामना करके अंत में उन पर विजय प्राप्त की। विपत्तियों का सामना करके मनुष्य सहनशील हो जाता है। विपत्ति रूठी भट्टी में तपकर ही मनुष्य में सोने जैसा निखार आता है।
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