आज की इस आर्टिकल में जैसे कि आप सभी ने देख लिया होगा कि हम किस विषय पर चर्चा करेंगे वर्तमान शिक्षा प्रणाली क्या है और किस प्रकार से वर्तमान शिक्षा प्रणाली के कुछ विशेषताओं के बारे में उनकी गुण वह दोष के बारे में भी चर्चा करेंगे हम कम से कम शब्दों में वर्तमान शिक्षा प्रणाली को समझने की कोशिश करते हैं ताकि आप सभी वर्तमान शिक्षा प्रणाली को समझ सको।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली -
गुण व दोष
मानवए ज्ञानवर्धन आवश्यक है। ज्ञान के बिना मनुष्यय का जीवन पशु तुल्य है। जब जो मनुष्य बड़ा होता जाता है वह कई बातें सीखने लगताा है। इसे सीखने का माध्यम शिक्षा् मनुष्यय को आदर्श के पद पर ले जाती है।शिक्षा स्थल ऐसा स्थल है जहां बालक को नया आकार दिया जाता है। कुम्हार जिस प्रकार मिट्टी को एक नयाााा आकार देता है उसी प्रकार शिक्षा विद्यार्थीथी को एक नया आकार देता है।
प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली और वर्तमान की शिक्षा प्रणाली मैं बहुत अधिक अंतर है।प्राचीन काल में विद्यार्थी आश्रम में रहकर प्रकृति और गुरु से शिक्षा ग्रहण करता था, परंतु वर्तमान शिक्षा प्रणाली से अलग है जिसमें गुण भी हैं और दोष भी हैं।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली - आज सरकारी अर्द्ध सरकारी एवं गैर सरकारी रूप से चलने वाली अनेक प्रारंभिक पाठशाला हैं। बच्चे निर्धारित पाठ्यक्रम से शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं। प्रारंभिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शाला, उच्च शिक्षा यह क्रम विद्यार्थी के लिए है। इसके पश्चात वह महाविद्यालय की पढ़ाई करता है।पराधीनता के साथ ही प्राचीन शिक्षा पद्धति और पाठ्यक्रम पर या नष्ट हो गए।
प्रारंभ - अंग्रेजी शासनकाल में लॉर्ड मैकाले द्वारा प्रचारित शिक्षा की भारत के आधुनिक शिक्षा प्रणाली है। अंग्रेजों ने लिपिक बनाने की शिक्षा प्रारंभ की थी। यही स्थिति आज भी है।वर्तमान शिक्षा हमें केवल नौकरी की मानसिकता ही दे पायी है। जिसमें कठिनाइयों से जूझने की क्षमता प्राप्त नहीं है। अंग्रेजी भारत की राष्ट्रभाषा घोषित की गई।परिणाम यह हुआ कि भारतीय मस्तिक इतना संकुचित हो गया कि शिक्षा का उद्देश्य नौकरी ही करना समझ लिया गया। शिक्षा परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए दी जाती थी। जीवन को सफल बनाने की क्षमता उच्च शिक्षा में नहीं थी।
उद्देश्य- शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना है। उस में आत्मनिर्भरता की भावना जागृत करना चरित्र का निर्माण करना होता है, परंतु वर्तमान प्रणाली इनमें से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती। यह केवल नौकरी उधर पोषण का साधन बन गई है। आज बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि आज विद्यार्थी को सिद्धांत ज्ञान तो मिल जाता है पर व्यवहारिकता से दूर रहता है। यहां छात्र नैतिकता के सिद्धांत को केवल रखता है। परंतु वातावरण में उसका अभाव पाकर जीवन में अम्ल नहीं कर पाता।
दोष - वर्तमान शिक्षा प्रणाली महंगी है। इसमें श्रम की भावना नहीं है । आज युवक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी चाहता है जो मैकाले की देन है। यदि आधुनिक शिक्षा किसी विधि प्राप्त भी हम कर सकें तो क्या काम, बस क्लर्क बंद कर पेट अपना भर सकें।
इस प्रणाली का दूसरा दोष यह है कि इससे मनुष्य की शारीरिक मानसिक तथा आत्मिक शक्ति का भी विकास नहीं हो पाता है। वर्तमान शिक्षा प्राप्त युवक पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित होकर भारतीय संस्कारों व रीति-रिवाजों से दूर हटने लगता है। यही कारण है कि आज की शिक्षा प्रणाली विद्यार्थी को उदंड, अनुशासन हीन, चरित्रहीन और असभ्य बनाते हैं। ऐसी ही शिक्षा के कारण बेरोजगारी भ्रष्टाचारी मिलावट खोरी तथा नौकरशाही की भावना बढ़ रही है। लोग परिश्रम से दूर होते चले जा रहे हैं। उनका नैतिक पतन भी हो रहा है। आज विद्यार्थी ना गुरुजनों का सम्मान कर पाता है और ना ही माता-पिता का।वह केवल कल्पना की उड़ान में तुम्हारे भविष्य को संवारना चाहता है। यह शिक्षा प्रणाली का ही दोष है जो ठोस धरती पर नहीं दिखी है।
परिवर्तन की आवश्यकता - आज हमें ऐसी शिक्षा पद्धति चाहिए जिससे पुरानी प्रणाली में आमूल परिवर्तन हो सके।हमें ऐसे शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है जिससे देश का हर विद्यार्थी व सैनिक बन सके और जो नैतिक सामाजिक संस्कृति तथा राजनीतिक शक्तियों का सही विकास कर सके। स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा के संबंध में सरकार खूब विचार-विमर्श कर नई योजना बना रही है।शिक्षा के मूल रूप से मानव में सहयोग, श्रम प्रियता, रचनात्मकता, बौद्धिक, चैतन्य आदि गुणों का विकास हो सके। हमारी सबसे प्राचीन शिक्षा पद्धति, जो व्यावहारिक थी, मनुष्य को मनुष्य से जोड़े रखती थी, का सहयोग लेना चाहिए। आज औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए,जिससे नवयुवक में शक्ति राष्ट्रीयता का संचार हो।
नई शिक्षा प्रणाली राष्ट्रीय आवश्यकता ओं के अनुरूप हो। औद्योगिक , व्यवसायिक, व्यावहारिक शिक्षा पर पहले ध्यान देना चाहिए।
आज कंप्यूटर साइंस इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री एनवायरमेंट साइंस रिलेशन का प्रयोग हो। पाठ्यक्रम में क्रांतिकारी परिवर्तन हो।शिक्षा को माननीय संसाधनों के विकास के लिए एवं नीचे स्तर के लोगों की बुद्धि विकास के लिए सहयोग देना चाहिए। प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम साक्षरता का कार्यक्रम जो जीवन की आवश्यकता से परिपूर्ण है, इनका विकास होना चाहिए जिससे नई नई खोज की जानकारी हो,
शारीरिक श्रम खेलकूद ओं की शिक्षा देना भी आवश्यक है। सभी विद्यार्थी कला विज्ञान साहित्य तकनीकी विषयों में आगे बढ़े।नई शिक्षा व्यवस्था में भाषा को सर्वोपन्न बनाना आवश्यक है। साथी प्रांतीय भाषा की उन्नति में सहयोग दें। राष्ट्रीय भाषा को दुनिया की विकसित भाषा के बराबर लाना आवश्यक है।
मुख्यता नई शिक्षा व्यवस्था में,सारे देश के लिए एक अनिवार्य पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए। आज सरकार इंग्लिश में पर पहल कर रही है।
शिक्षा का उद्देश्य सर्वांगीण विकास होना चाहिए।शिक्षित युवक हीनता संप्रदायिकता ,जातीयता भाषाई, विवाद के संकिर्ण से निकलकर विश्वकल्याण की बात सोचें।
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