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वृक्षारोपण या वन संरक्षण पर निबंध

 वृक्षारोपण या वन संरक्षण 

                     या 

वन महोत्सव और प्रदूषण की समस्या

आज के इस आर्टिकल में हम उन महत्वपूर्ण समस्या पर चर्चा करेंगे जो सभी जीवित पेड़-पौधे जीव जंतुओं के लिए अति आवश्यक है जैसे कि आप सभी ने शिर्षक को देखकर समझ ही गया होगा , कि आज का जो हमारी टॉपिक है वह हमारे पर्यावरण पर आधारित है और पर्यावरण के साथ-साथ हमारे जानकारी के लिए भी अति महत्वपूर्ण प्रश्न है चलो आज के इस आर्टिकल्स में आगे हम चर्चा करेंगे वृक्षारोपण जोकि हम सभी के लिए जरूरी है वनों का संरक्षण करना बहुत जरूरी है साथ ही साथ वनों को संरक्षित करने के लिए वन महोत्सव मनाना भी बहुत जरूरी है और साथ ही साथ प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है हम इन्हीं सभी विषय पर चर्चा करते हैं । हमारी जो चर्चा की शब्द सीमा होगी वह लगभग ढाई सौ शब्दों में होगी मुझे उम्मीद है आप सभी को यह आर्टिकल समझने में सहायक होगा।


        वृक्ष का अर्थ है पानी। पानी से रोटी मिलती है,                                          जो जीवन देती है।

प्रस्तावना-  वनों या वृक्षों का भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व रहा है। हमारे यहां लोग प्राचीन काल से लेकर आज तक वृक्ष की पूजा करते आ रहे हैं। अस्तित्व पीपल का वृक्ष तो वासुदेव भगवान का प्रतीक माना जाता है। लाभ लाभ दृष्टिकोण से भी  महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है किसी भी देश के आर्थिक विकास में वनों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। वन कृषि, उद्योग, यातायात में सहायक तो है ही इनसे अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं। वनों से लाभ दो प्रकार से प्राप्त होते हैं-

प्रत्यक्ष लाभ और 

 अप्रत्यक्ष लाभ

प्रत्यक्ष लाभ-    1.वनों से अनेक उद्योगों को आश्रय मिलता है, जैसे सवाई घास और बात से कागज बनाया जाता है।

2. वनों से रबड़ शहद गोंद चंदन आदि प्राप्त किया जाता है।

3. वनों से बहुत कीमती लकड़ियां प्राप्त की जाती है जिनसे जहाज रेल के डिब्बे दरवाजे खिड़कियां आदि अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती है।

4. वन क्षेत्रों में प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र होते हैं।

5. पशुओं के लिए उत्तम चरागाह प्राप्त होते हैं।

6. वन वन्य प्राणियों के आवास व सुरक्षा स्थल हैं।

7. वनों के कंदमूल फूल और फलों से अनेक औषधीय का निर्माण होता है।

8. वनों से खाद प्राप्त होता है।

9. वनों से सरकार को आय होती है, भारत को वनों से करोड़ों का लाभ होता है।

अप्रत्यक्ष लाभ - 1. वनों वर्षा कराने में सहायक होती हैं।

2. वनों से रेगिस्तान बनने की संभावना नहीं रहती है।

3. वन बाढ़ पर ,तापक्रम पर नियंत्रण रखते हैं।

4. नदिया के निरंतर बहाव को संभव बनाते हैं।

5. वन क्षेत्रों में पानी का जलस्तर ऊंचा रहता है।

6. वन प्रदूषण को रोकते और पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हैं।।

निर्दई कटाई से उत्पन्न भयावह समस्या - 

मानव ने अपने व्यक्तिगत क्षणिक लाभ के कारण पेड़ों पर जो अंधाधुंध कुल्हाड़ी चलाई है, उसके भयंकर परिणाम सामने आ रहे हैं। जहां-जहां जंगल कांटे हैं,वहां वहां भूमि संरक्षण के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो गई है। खारों का निर्माण हुआ है। वन क्षेत्र के कम होने से वर्षा पर भी प्रभाव पड़ा है। परिणाम स्वरूप उपजाऊ इलाके रेगिस्तानी भूमि में बदल रहे हैं। इस प्रकार जैसे जैसे वन क्षेत्र कम हो रहे हैं वैसे वैसे प्रदूषण भूमि क्षरण कम या और अपने बाढ़ आदि की भयंकर समस्याएं बढ़ती जा रही है।

वृक्षारोपण या वन महोत्सवों - वनों के महत्व को ध्यान में रखकर ही सन् 1950 से देश में वन महोत्सव कार्यक्रम रखा गया है।संजय गांधी ने 5 सूत्रीय कार्यक्रम और इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम में वृक्षारोपण को एक विशिष्ट कार्यक्रम घोषित किया। तब से आज तक इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता मिल रही है। हमारी सरकार इस संबंध में सजग है वह त्वरित कदम उठा रही है।

उपसंहार - हमारा भी कर्तव्य है कि हम वृक्षारोपण को एक धार्मिक या राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए। हर भारतीय के मन में यह भावना जागृत होनी चाहिए कि निश प्रयोजन वृक्ष की डालियों तक को ना काटे। वृक्ष लगाएं, लगवाएं और लगाने के लिए प्रोत्साहित करें।वृक्षों की महत्ता के संबंध में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था - 

 "उगता हुआ वृक्ष उभरते हुए राष्ट्र का प्रतीक होता है।"


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